गीता जयंती क्यों और कब मनाई जाती है?| Geeta Jayanti

गीता जयंती कब है, गीता जयंती 2022, गीता जयंती शुभकामनाएं, गीता जयंती दिवस, भगवत गीता जयंती 2022, गीता जयंती क्यों और कब मनाई जाती है?

श्रीमद् भागवत गीता जीवन का सार है। जिसे पढ़कर और उसमे बताये गए उपदेशों को अपनी जीवन में उतार कर हमें कलयुग में सही राह मिलती है। इसके महत्व को बनाए रखने के लिए सनातन हिंदू धर्म में गीता जयंती मनाई जाती है। गीता जयंती सनातन हिंदू धर्म के सबसे बड़े ग्रंथ के जन्मदिवस को हम गीता जयंती कहते हैं। भागवत गीता जीवन मंत्र है, जो सदियों से मनुष्यों को सही राह दिखाता आ रहा है। तभी इसे सबसे पवित्र ग्रंथ माना जाता है। भागवत गीता स्वयं योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को सुनाई थी। जब कुरुक्षेत्र के युद्ध भूमि में अर्जुन अपनी सगे  संबंधियों को दुश्मन के रूप में सामने देख विचलित हो जाते हैं, और शस्त्र उठाने से इनकार कर देते हैं। तब स्वयं वासुदेव भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को मनुष्य धर्म एवं कर्म का उपदेश दिया। 

Geeta Jayanti
Geeta Jayanti

गीता जयंती कब मनाई जाती है ?

मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन भागवत गीता जयंती के रूप में प्रतिवर्ष मनाया जाता है। भागवत गीता का जन्म भगवान श्री कृष्ण की मुख से कुरुक्षेत्र के मैदान में हुआ था। 

गीता की उत्पत्ति का विस्तार क्या है ?

Geeta Jayanti
ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः

कुरुक्षेत्र का मैदान गीता की उत्पत्ति का स्थान है। कहा जाता है कलयुग में प्रारंभ के लगभग 30 वर्षों के पहले ही गीता का जन्म हुआ। जिसे स्वयं योगेश्वर श्री कृष्ण ने नंदी घोष रथ के सारथी के रूप में दिया था।

गीता का जन्म आज से लगभग 5140 वर्ष पूर्व हुआ था। श्रीमद् भागवत गीता जयंती गीता संपूर्ण मानवता का मार्गदर्शन करती है। गीता के उपदेश जाति, धर्म संप्रदाय से परे है। गीता के 18 अध्यायों में मनुष्य के सभी धर्म एवं धर्मों का लेखा जोखा है। इसमें सतयुग से कलयुग तक मनुष्य के कर्म एवं धर्म का ज्ञान है। गीता के श्लोकों में मनुष्य जाती का आधार छिपा है। 

मनुष्य के लिए उसका धर्म और कर्म क्या है?

इसका उत्तर विस्तार से स्वयं योगेश्वर श्रीकृष्ण ने अपने मुख से दिया है। जिससे व्यक्तित्व का विकास हो सके। ऐसे में अब यह, जानना बेहद जरूरी है की,

गीता की प्रासंगिकता क्या है ?

कुरुक्षेत्र का युद्ध जिसमें भाई ही भाई के सामने अस्त्र शस्त्र लिए खड़ा था। जिसका प्रारंभ तो था लेकिन अंत अनिश्चित था। क्योंकि यह युद्ध धर्म की स्थापना के लिए था। रणभूमि में एक तरफ पांडव तो दूसरी तरफ कौरव थे। यहाँ पर अर्जुन को अपने ही दादा, भाइयों एवं गुरुओं पर गांडीव उठाना था। ऐसे में अर्जुन के हाथ गांडीव उठाते हुए हाथ कांपने लगे। जब अर्जुन स्वयं को युद्ध करने में अपने आप को असमर्थ पाने लगे, तब मधुसूदन ने पार्थ अर्जुन को गीता का उपदेश दिया। इस प्रकार से कुरुक्षेत्र के रणभूमि में गीता का जन्म हुआ।

जब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्म की वास्तविकता से अवगत करवाया। तब धनुर्धर अर्जुन को ज्ञान प्राप्त हुआ। एक मनुष्य रूप में अर्जुन के मन में उठने वाले सभी प्रश्नों का उत्तर श्रीकृष्ण ने स्वयं उसे ही दिया। उसी का विस्तार भागवत गीता में समाहित है। जो आज मनुष्य जाती को उसका कर्तव्य एवं अधिकार का बोध कराता है। गीता का जन्म मनुष्य को धर्म का सही अर्थ समझाने की दृष्टि से किया गया।

मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी तिथि को जब गीता का वाचक स्वयं प्रभु ने किया उस वक्त कलयुग का प्रारंभ हो चुका था। कलयुग ऐसा दौर है, जिसमें गुरु एवं ईश्वर स्वयं धरती पर मौजूद नहीं हैं। जो भटकते अर्जुन को सही राह दिखा पाए। ऐसे में गीता के उपदेश मनुष्य जाती को सही राह प्रशस्त करते हैं। यकीनन पुरे विश्व में सनातन हिंदू धर्म ही एक ऐसा धर्म है, जिसमें किसी ग्रंथ की जयंती मनाई जाती है। इसका उद्देश्य मनुष्य में गीता के महत्व को जागृत रखना है। इस कलिकाल में गीता ही कैसा सदग्रंथ है, जो हमें जीवन पथ पर आगे बढ़ने के लिए सही मार्ग प्रशस्त करता है।

गीता जयंती कैसे मनाया जाता है?

Geeta Jayanti
ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः
  • गीता जयंती के दिन श्रीमद् भागवत गीता का पाठ करें।
  • भगवान श्री कृष्ण एवं गीता की पूजा करें और भजन आरती गायें।
  • महा विद्वान तो इस दिन लोगों को गीता का सार कहते हैं। जिससे मनुष्य जाती को ज्ञान प्राप्त हो सके।
  • इस दिन उपवास भी रख सकते हैं, और श्री हरि भगवान विष्णु की पूजा भी की जाती है।
  • गीता श्रवण करें। 
  • गीता जयंती मोक्षदा एकादशी के दिन हीं आती है। इस दिन जगत के पालनहार श्रीहरि भगवान विष्णु की पूजा भी की जाती है। 

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव कुरुक्षेत्र शहर में ब्रह्म सरोवर के आसपास 300 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्टॉल लगाए जाते हैं। तीर्थयात्री कुरुक्षेत्र की 48 कोस परिक्रमा भी करते हैं।

ये भी पढ़ें

गीता जयंती 2022 तिथि

इस वर्ष 2022 में पंचांग के अनुसार, 03 दिसंबर को सुबह 05 बजकर 39 मिनट पर मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत हो रही है. यह ति​थि 04 दिसंबर दिन रविवार को सुबह 05 बजकर 34 मिनट तक मान्य रहेगी. ऐसे में उदयातिथि को आधार मानकर गीता जयंती इस साल 03 दिसंबर शनिवार को मनाई जाएगी.

FAQ

Q: गीता जयंती कब मनाई जाती है ?

Ans. मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन भागवत गीता जयंती के रूप में प्रतिवर्ष मनाया जाता है।

Q: गीता की उत्पत्ति का विस्तार क्या है ?

Ans. भागवत गीता का जन्म भगवान श्री कृष्ण की मुख से कुरुक्षेत्र के मैदान में हुआ था। 

Q: गीता की प्रासंगिकता क्या है ?

Ans. इस कलिकाल में गीता ही कैसा सदग्रंथ है, जो हमें जीवन पथ पर आगे बढ़ने के लिए सही मार्ग प्रशस्त करता है।

Q: गीता जयंती कैसे मनाया जाता है?

Ans. गीता जयंती के दिन श्रीमद् भागवत गीता का पाठ करें। भगवान श्री कृष्ण एवं गीता की पूजा करें और भजन आरती गायें।

Q: अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव कहाँ मनाया जाता है?

Ans. अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव कुरुक्षेत्र शहर में ब्रह्म सरोवर के आसपास 300 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्टॉल लगाए जाते हैं। तीर्थयात्री कुरुक्षेत्र की 48 कोस परिक्रमा भी करते हैं।

Leave a Comment